मध्यकालीन भारत का इतिहास OPTIONS

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रोहित शर्मा का बल्ला देता है टीम इंडिया को नॉकआउट मैच में जीतने की गारंटी, क्या फाइनल में बरसेंगे हिटमैन? 

निकोलस काँटी के यात्रा वृत्तांत से ‘विजय नगर साम्राज्य’ की जानकारी मिलती है।

सिक्खों और ब्रिटिश सेना के बीच इतिहास में कई लढाईयाँ हुई थी। जब तक महाराजा रणजीत सिंह जिन्दा थे तब तक ब्रिटिश अधिकारियो को सुल्तेज नदी पार करने में कभी सफलता नही मिली। उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने पुरे पंजाब को हथियाँ लिया था और सिक्ख शासको का पतन कर दिया था।

भूगोल से सम्बन्धित घटनाओं का कालक्रम[संपादित करें]

मीर अलाउद्दौला कजवीनी द्वारा रचित नफाइस-उल-मासिर संभवतः अकबर काल का विवरण देने वाली पहली रचना है। 

उत्तर प्रदेशमधील प्रतापगढमध्ये कृपालू महाराज यांच्या रामजानकी मंदिरात अन्न आणि कपड्यांचं दान होत असताना लोक जमले होते.

अकबरनामा तीन जिल्दों में बंटा हुआ, इसके तीसरे जिल्द को आइने अकबरी नाम दिया गया है।

मानव समाज में अपने सबसे शुरुआती ज्ञात उपयोगों में, इतिहास केवल एक पिछली घटनाओं का कथात्मक लेखा-जोखा था। एक शब्द के रूप में, यह फ्रेंच फॉर्मूलेशन से अंग्रेजी भाषा में प्रवेश किया इतिहास की, इतिहास की लैटिन धारणा, और ग्रीक में इस्टोरिया की रचना, इनमें से प्रत्येकजो अतीत के ज्ञान की मूल भावना का प्रतिनिधित्व करता है। इन प्रारंभिक अवधारणाओं में, इतिहास की भावना में घटनाओं की एक कल्पनाशील कहानी और एक कथा या दोनों शामिल हैं पिछली घटनाओं का क्रॉनिकल।

प्राचीन भारत की जानकारी के लिए अन्य उपयोगी पुरातात्विक स्त्रोत

बरनी ने उच्च वर्ग का मार्गदर्शन करने हेतु एवं फीरोज के समक्ष आदर्श उपस्थित करने हेतु इस ग्रंथ की रचना की। इस पुस्तक में शरीयत के अनुसार सरकार के कानूनी पक्ष का वर्णन है। इसमें मुस्लिम शासकों के लिए आदर्श राजनीतिक संहिता का वर्णन है। बरनी ने महमूद गजनवी को आदर्श मुस्लिम शासक माना है तथा मुसलमान सुल्तानों को उसका अनुकरण करने के लिए कहा है। बरनी कट्टर मुसलमान था, अतः उसने काफिरों का विनाश करने वाले को आदर्श मुस्लिम शासक माना है। उसने आदर्श शासन के check here लिए कुशल शासन प्रबंध भी आवश्यक बताया है। यदि बरनी के आदर्श शासक सम्बन्धी विचारों में से उसकी धर्मान्धता को निकाल दिया जाये, तो यह शासन प्रबंध में आदर्श सिद्ध हो सकते हैं।

पुरातात्विक स्रोत के अंतर्गत अभिलेख, सिक्के, मूर्तियां, चित्रकला, मृदभांड एवं मोहरें आती हैं।

तक की घटनाओं का वर्णन है। तीसरे भाग में तत्कालीन सूफियों, विद्वानों, हकीमों एवं कवियों की जीवनियां हैं। यह ग्रंथ ‘तारीखे-मुबारकशाही’ तथा ‘तबकाते अकबरी’ को आधार बनाकर लिखा गया है। इसका महत्त्व इसलिए है, क्योंकि इससे अकबर के शासनकाल के दूसरे पहलू का ज्ञान होता है। तुजुक-ए-जहांगीरी[संपादित करें]

कांस्य युग प्राचीन भारत का एक ऐतिहासिक हिस्सा होने के अलावा यह मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्त्र के साथ साथ विश्व की शुरुआती सभ्यताओं में से एक है। इस युग के लोगों ने धातु विज्ञान और हस्तशिल्प में नई तकनीक विकसित की और तांबा, पीतल, सीसा और टिन का उत्पादन किया।

माना जा सकता है। इस प्रसिद्ध ग्रंथ में कश्मीर के नरेशों से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों का निष्पक्ष विवरण देने का प्रयास किया गया है। इसमें क्रमबद्धता का पूरी तरह निर्वाह किया गया है, किंतु सातवीं शताब्दी ई. के पूर्व के इतिहास से संबद्ध विवरण पूर्णतया विश्वसनीय नहीं हैं।

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